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अनुवाद की समस्याएँ

जी गोपीनाथन

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :333
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13046
आईएसबीएन :9788180315992

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हिन्दी तथा विश्व की अन्य महत्वपूर्ण भाषाओं के बीच अनुवाद की भाषागत समस्याओं के बारे में यह द्विभाषी (हिन्दी अंग्रेजी) पुस्तक एक अन्तर्राष्ट्रीय परिचर्चा के रूप में पत्राचार द्वारा संकलित की गयी है

हिन्दी तथा विश्व की अन्य महत्वपूर्ण भाषाओं के बीच अनुवाद की भाषागत समस्याओं के बारे में यह द्विभाषी (हिन्दी अंग्रेजी) पुस्तक एक अन्तर्राष्ट्रीय परिचर्चा के रूप में पत्राचार द्वारा संकलित की गयी है। पुस्तक की परिकल्पना तथा परिचर्चा का आयोजन मुख्य रूप से कालीकट विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रो. जी. गोपीनाथन ने किया तथा इसके सह-सम्पादन में वहीं के अंग्रेजी विभाग के प्रो. एस. कंदास्वामी ने योग दिया।
पुस्तक में 36 शोधपत्र हैं जिनमें अनुवाद के सिद्धान्त और व्यवहार से उत्पन्न होने वाली समस्याओं की विस्तृत चर्चा है और हिन्द तथा विश्व की अन्य प्रमुख भाषाओं के बीच अनुवाद कार्य पर विशेष बल दिया गया है। भारत में अनुवाद विभिन्न प्रकार की जिन व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना करते हैं उनकी भी विस्तृत चर्चा इसमें शामिल है। हिन्दी भारत की सम्पर्क भाषा और भारत की मिली-जुली संस्कृति के सम्प्रेषण के माध्यम के रूप में तेजी से विकास कर रही है। हिन्दी तथा अन्य भाषाओं के बीच अनुवाद कार्य पिछले कुछ दशकों से गतिशील हुआ है। प्रस्तुत अध्ययन अनुवाद कार्य को बढ़ावा देने और अनुवाद के क्षेत्र में विकसित अध्ययन तथा शोध के सिलसिले में सैद्धान्तिक और व्यावहारिक रूप से सहायक सिद्ध होगा।
एशियाई भाषाओं में अनुवाद संबंधी अध्ययन एक नया विकसित होता क्षेत्र है और प्रस्तुत अध्ययन व्यावहारिक भाषा विज्ञान तथा साहित्यिक शोध के इस क्षेत्र में एक पहलकदमी है।

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